उत्तराखंड का पाँचवाँ धाम सेम मुखेम जहाँ आज भी मोजूद है भगवान कृष्ण के अवशेष
भास्कर समाचार सेवा
उत्तरकाशी। उत्तराखंड में सेम मुखेम नागराजा मन्दिर रमोली पट्टी के सेम नामक स्थान पर मौजूद है। माना जाता है कि भगवान श्री कृष्ण कुछ समय के लिए यहां पर आये थे और इस स्थान की हरियाली, पवित्रता और सुंदरता ने भगवान श्री कृष्ण का मन आकर्षित कर लिया। और भगवान श्री कृष्ण ने यहाँ रहने का फैसला ले लिया ।लेकिन भगवान श्री कृष्ण के पास यहाँ रहने की जगह नहीं थी और भगवान श्री कृष्ण ने यहाँ के राजा गांगू रमोला को सात हाथ जगह देने का प्रस्ताव राजा गांगू रमोला के पास रखा परन्तु राजा गांगू रमोला ने यह सोचकर कि कोई अनजान व्यक्ति है इस कारण यह प्रस्ताव अस्वीकार कर दिया था।
काफी समय तक प्रभु श्रीकृष्ण उसी स्थान पर रहे कहा जाता है कि एक दिन नागवंसी राजा के स्वपन में भगवान श्री कृष्ण आये और उन्होंने अपने यहाँ रहने के बारे में नागवंशी राजा को बताया।
नागवंसी राजा ने अपनी सेना के साथ प्रभु के दर्शन करने चाहे परन्तु राजा रमोला ने नागवंसी राजा और उनकी सेना को अपनी भूमि पर आने से मना कर दिया। इस पर नागवंसी राजा क्रोधित हो गये ओर उन्होंने राजा रमोला पर आक्रमण करने की ठान ली थी लेकिन उन्होंने राजा रमोला को प्रभु के बारे में बताना उचित समझा, उन्होंने प्रभु श्री कृष्ण के बारे में राजा रमोला को बताया।
ओर फिर राजा रमोला को प्रभु श्री कृष्ण के रूप को देखकर अपने कृत्य पर लज्जा आयी और राजा रमोला ने हाथ जोड़कर प्रभु से माफी मांगी और प्रभु ने राजा रमोला को प्रेमपूर्वक माफ किया। इसके बाद से प्रभु वहाँ पर नागवंशियों के राजा नागराजा के रूप में जाने जाने लगे।
कुछ समय पश्चात प्रभु ने वहाँ के मंदिर में सदैव के लिए एक बड़े से पत्थर के रूप में विराजमान होना स्वीकार किया ओर अपने पवित्र परमधाम को चले गये। ओर इसी पत्थर की आज भी नागराजा के रूप में पूजा होती है। श्रद्धालुओं की आस्था के अनुसार प्रभु श्री कृष्ण का एक अंश अभी भी इसी पत्थर में विध्यमान है ओर करोड़ो व्यक्तियों की मनोकामना पूरी होती हुयी यह बात सिद्ध भी होती है।स्थानीय निवासी पंकज थपलियाल, आशाराम चमोली,चन्द्र शेखर चमोली, का कहना है कि आज भी कभी कभी मन्दिर मे घोडे की चलने की आवाज आती रहती है ।हर तीसरे साल यहाँ पर नागरजा की विशाल जात्रा होती है जिसमे उत्तराखंड के। हर जिले के निवासी भाग लेते है।स्थानीय लोगों का दर्द है कि सरकार ने यहाँ पाँचवें धाम की घोषणा तो कर दी है पर सुविधाओं के नाम पर यहाँ अभी कुछ कमियां है ।जिसमे पीने के पानी की व्यवस्था सबसे बडी समस्या है ।वहीं मन्दिर समीति से जुडे लोगों का कहना है कि सरकार ने पाँचवें धाम की घोषणा तो कर रखी है पर पाँचवें धाम का दर्जा कब मिलेगा इसके लिए इन्तजार मे लगे हुए है।
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